भटकी तो वो खुद है,
और हमे भटका रही है,
भरी महफ़िल में,
हमे झुठला रही है,
खुद वफ़ा भूल गयी है,
और हमे वादा याद दिला रही है,
क्या कुछ नहीं किया उसके वास्ते,
और हमें आजकल रुला रही है,
जिस राह को कभी देखा नही उसने,
उसी रास्ते पर हमें मंजिल दिखा रही है,
कितने जुबान बदले उसके हमारे खिलाफ,
हमारे हर लब्ज़ को वो गलत बता रही है,
हर मुलाकात पर खुद को बदलती थी,
दुनियां की नज़र में हमे गिरा रही है।
भटकी तो वो खुद है,
और हमे भटका रही है,
भरी महफ़िल में,
हमे झुठला रही है।
खुलेआम कहा उसने सबसे,
मोहब्बत दिलों जान से करते हैं,
लेकिन प्यार का असर,
वो नागिन के विष सा दिखा रही है,
ना समझ बन कर उसने,
हर रिश्ते को बर्बाद किया,
कुछ पर अब भी चोट बांकी है,
आजकल उसे सहला रही है।
मासूम चेहरा, नशीली आंखे,
निर्मल मन, भोला रूप है उसका,
अपने फरेब में वो,
सबको बहका रही है।
नासमझ कहें खुदगर्ज कहें,
या बेशर्म कहें हम उसको,
गलती भी खुद कर रही है,
और फैसला भी सुना रही है।
भटकी तो वो खुद है,
और हमे भटका रही है,
भरी महफ़िल में,
हमे झुठला रही है।
2 comments:
Kya baat hai
Super
बहुत प्रभावशाली
क्या बात है
Super
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