कोई ग़ज़ल सुना कर क्या करना,
यूँ बात बढ़ा कर क्या करना।
दिल ने उसे अपना माना था,
दुनिया को बता कर क्या करना।।
हमने हर वादा तो निभाया चाहत से,
कोई रस्म निभा कर क्या करना।
वो खफा भी नहीं है, और बात भी नही होती,
फिर उसको मनाकर क्या करना।।
कोई ग़ज़ल सुना कर क्या करना,
यूँ बात बढ़ा कर क्या करना।
दिल ने उसे अपना माना था,
दुनिया को बता कर क्या करना।।
हमने हर वादा तो निभाया चाहत से,
कोई रस्म निभा कर क्या करना।
वो खफा भी नहीं है, और बात भी नही होती,
फिर उसको मनाकर क्या करना।।
Khuda ne bahut muskil ghari m ek chand k tukde ko banaya hoga, Is hasin tukde ko pariyon ne khud mil ke sajaya hoga, Chand taaron ne mil...
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