लाल हरे में मत बांटों
मेरे छत पे तिरंगा रहने दो,
फ़र्ज़ी राष्ट्रवादी खेल रहे हैं,
देश के हर विचारों से,
खुद तो वो सब नंगे हैं
उसको नंगा ही रहने दो,
इतने सब हैं भ्रष्टाचारी,
उनको बस है दौलत प्यारी,
कुर्सी के खातिर वो,
बहु बेटी को न छोड़ेंगे,
जिससे उनकी कुर्सी है बचती,
उनसे ही रिश्ता जोड़ेंगे,
अपने ही जुमलों पर हरदम,
उनको शर्मिंदा रहने दो,
खुद तो वो सब नंगे हैं
उनको नंगा ही रहने दो,
कहते हैं हम खत्म करेंगे,
देश के भ्रष्टाचार को,
लूट मार से बचाएंगे हम,
भारत के घर-बार को,
खुद ही साले लूट रहे हैं,
भारत माँ के दरबार को,
खुद को साफ दिखाने को वो,
खरीद लेते पत्रकार को,
वोट लेकर है सब शर्मिंदा,
सबको शर्मिंदा रहने दो,
खुद तो वो सब नंगे हैं
उनको नंगा ही रहने दो,
हिन्दू मुस्लिम में करवाकर दंगा,
कहते हैं दंगा रहने दो,
खुद सब साले नंगे हैं,
उनको नंगा ही रहने दो,
खुद तो वो सब नंगे हैं
उनको नंगा ही रहने दो।
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