हमारे खुशी,गम पर दुनियां की हुकूमत नही है,जाओ हमे तुमसे मोहब्बत नही है।कुछ लोग आजकल हमे दगाबाज़ कहता है,ये बात उनपर सटीक है,हम पे ये हकीकत नही है।।लंबी-लंबी बातें से तो खामोशी बेहतर है,सच में हमे तुमसे कोई शिकायत नहीं है।।महफिलों में हम लब्ज़ों में बिकने लगे हैं,हैं थोड़ा मजबूर लेकिन कुछ जरूरत नही है।।कई ख्वाब नज़रों के तहखाने में जमे हैं,किसी की अब तक कोई हिफाजत नही है।।आजकल संभालने लगे हैं, खुद को खुद के सहारे,हमें अब बिल्कुल तुम्हारी जरूरत नही है।।हां हम मुसाफिर हैं अकेले, अपने मंजिल के,लौट के मत आना, तुम्हे इजाजत नहीं है।।वो वक़्त और था, जब तुम...