अच्छे फूल को देख हर कोई तोड़ लेता है,
उसे सींचता है कोई-कोई।
प्यार से हर कोई फूल को सहलाता है,
कांटे को छूता है कोई-कोई।
प्यार , इश्क़, मोहब्बत ज़िन्दगी का एक हिस्सा है,
इससे खुद को बचा पाता है कोई-कोई।
खाते हैं कसमे साथ जीने-मरने की,
पर निभा पाता है कोई-कोई।
सोते हुए हर कोई ख्वाब देख लेता है,
उसे पूरा करने के लिए जागता है कोई-कोई।
पत्थर की चोट खाकर गिर जाता है हर इंसान,
खुद को संभाल पाता है कोई-कोई।
मंजिल तो मिल जाएगी, बस थोड़ा और चलना बांकी है,
ऐसी तसल्ली दिला पाता है कोई-कोई।
एक, बस एक ख्वाब टूटने से खत्म नही होती ज़िन्दगी,
हालात-ए-वक़्त में नई...